Sunday, November 7, 2010

अगर हिचकी आए तो माफ़ करना.......

लड़कियों के डर भी अजीब होते हैं



भीड़ में हों तो लोगों का डर


अकेले में हों तो सुनसान राहों का डर


गर्मी में हों तो पसीने से भीगने का डर


हवा चले तो दुपट्टे के उड़ने का डर


कोई न देखे तो अपने चेहरे से डर






कोई देखे तो देखने वाले की आँखों से डर


बचपन हो तो माता-पिता का डर


राह में कड़ी धुप हो तो,चेहरे के मुरझाने का डर


बारिश आ जाये तो उसमें भीग जाने का डर






वो डरती हैं और तब तक डरती हैं


जब तक उन्हें कोई जीवन साथी नहीं मिल जाता


और वही वो व्यक्ति होता हैं जिसे वो सबसे ज्यादा डराती है!


हमें तो अपनों ने लूटा,गैरों में कहाँ दम था.


मेरी हड्डी वहाँ टूटी,जहाँ हॉस्पिटल बन्द था.






मुझे जिस एम्बुलेन्स में डाला,उसका पेट्रोल ख़त्म था.


मुझे रिक्शे में इसलिए बैठाया,


क्योंकि उसका किराया कम था.


मुझे डॉक्टरों ने उठाया,नर्सों में कहाँ दम था.


मुझे जिस बेड पर लेटाया,उसके नीचे बम था.


मुझे तो बम से उड़ाया,गोली में कहाँ दम था.


और मुझे सड़क में दफनाया,


क्योंकि कब्रिस्तान में फंक्शन था


नैनो मे बसे है ज़रा याद रखना,


अगर काम पड़े तो याद करना,


मुझे तो आदत है आपको याद करने की,


अगर हिचकी आए तो माफ़ करना.......

Friday, October 29, 2010

याज्ञवल्क्य और मैत्रियी

याज्ञवल्क्य और मैत्रियी
महर्षि याज्ञवल्क्य वैदिक युग में एक अत्यन्त विद्वान व्यक्ति हुए हैं। वे ब्रह्मज्ञानी थे। उनकी दो पत्नियां थीं। एक का नाम कात्यायनी तथा दूसरी का मैत्रियी था । कात्यायनी सामान्य स्त्रियों के समान थीं, वह घर गृहस्थी में ही व्यस्त रहती थी। सांसारिक भोगों में उसकी अधिक रूचि थी। सुस्वादी भोजन, सुन्दर वस्त्र और विभिन्न प्रकार के आभूषणो में ही वह खोई रहती थी। याज्ञवल्क्य जैसे प्रसिद्ध महर्षि की पत्नी होते हुए भी उसका धर्म में उसे कोई आकर्षण नहीं दिखाई देता था। वह पूरी तरह अपने संसार में मोहित थी। जबकि मैत्रियी अपने पति के साथ प्रत्येक धार्मिक कार्य में लगी रहती थी। उनके प्रत्येक कर्मकाण्ड में सहायता देना तथा प्रत्येक आवश्यक वस्तु उपलब्ध कराने मे उसे आनन्द आता था। अध्यात्म में उसकी गहरी रूचि थी तथा अपने पति के साथ अधिक समय बिताने के कारण आध्यात्मिक जगत में उसकी गहरी पैठ थी। वह प्रायः महर्षि याज्ञवल्क्य के उपदेशों को सुनती, उनके धार्मिक क्रिया-कलापों में सहयोग देती तथा स्वंय भी चिन्तन-मनन में लगी रहती थी। सत्य को जानने की उसमें तीव्र जिज्ञासा थी।
 
एक बार महर्षि याज्ञवल्क्य ने गृहस्थ त्यागकर संन्यास लेने का निश्चय किया। उन्होंने अपनी दोनों पत्नियों को अपने समीप बुलाया और उनसे बोले, 'हे मेरी प्रिय धर्मपत्नियों, मैं गृहस्थ त्यागकर संन्यास ले रहा हूं। मैं चाहता हूं कि मेरे पश्चात तुम दोनों में किसी प्रकार का विवाद न हो। इसलिए मेरी जो भी धन-सम्पत्ति है तथा घर में जो भी सामान है, उसे तुम दोनों में आधा-आधा बांट देना चाहता हूं।' कात्यायनी तुंरत तैयार हो गई लेकिन मैत्रियी सोचने लगी कि ऐसी क्या वस्तु है जो गृहस्थ से भी अधिक सुख, सतोंष देने वाली है और जिसे प्राप्त करने के लिए महर्षि गृहस्थ का त्याग कर रहे हैं। वह बोली, 'भगवन आप जिस स्थिति को प्राप्त करने के लिए गृहस्थ का त्याग कर रहे हैं, क्या वह इस गृहस्थ जीवन से अधिक मूल्यवान है?' महर्षि ने उत्तर दिया, 'मैत्रियी वह अमृत है, यह संसार नाशवान है। इसका सुख क्षणिक है, वह स्थायी आनन्द है। उसी की खोज में मैं अपना शेष जीवन व्यतीत कर देना चाहता हूं।' मैत्रियी फिर बोली, 'भगवन यदि धन-धान्य से पूर्ण यह समस्त पृथ्वी मुझे मिल जाए तो क्या मृत्यु मेरा पीछा छोड़ देगी, मैं अमर हो जाऊंगी।' महर्षि याज्ञवल्क्य ने कहा, 'प्रिय मैत्रियी, धन से तो सांसारिक वस्तुओं का ही प्रबंध किया जा सकता है। यह तो शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति, भोग-विलास तथा वैभव का ही साधन है। इससे अमरत्व का कोई सम्बंध नहीं है।' तब मैत्रियी ने कहा, 'यदि ऐसा है तो आप मुझे इससे क्यों बहला रहे हैं। मुझें इसकी आवश्यकता नहीं है। मुझे तो आप उस तत्व का उपदेश दीजिए जिसमें मैं सदा रहने वाला सुख पा सकूं। उसे जान सकूं जिसे जानने के पश्चात कुछ भी जानना शेष नहीं रहता तथा इस आवागमन के चक्र से मुफ्त होकर सदा-सदा के लिए अमर हो जाऊं।'

महर्षि अपनी पत्नी की सत्य के प्रति जिज्ञासा को जानकर अत्यन्त प्रसन्न हुए और उन्होंने अपनी पत्नी की प्रशंसा करते हुए कहा, 'हे मैत्रियी, तुम्हारी इस सच्ची लगन को देखकर मैं पहले भी तुमसे प्रसन्न था और तुम्हें प्यार करता था,अब तुम्हारी बातें सुनकर मैं तुमसे बहुत अधिक प्रसन्न हूं, आओ, मेरे पास बैठो, मैं तुम्हें वह ज्ञान दूंगा जिससे वास्तव में तुम्हारी आत्मा का कल्याण होगा और तुम संसार के माया-मोह से सदा के लिए मुफ्त हो जाओगी।' और ऐसा ही हुआ, मैत्रियी ने अपने पति के द्वारा ज्ञान प्राप्त करके,ईश्वर को पा लिया और उसका मन स्थायी शांति तथा आनन्द से परिपूर्ण हो गया।

ज्ञात्वा शिवं शान्तिमत्यन्मेति । (उस कल्याणकारी परमात्मा को जानकर ही भक्त अत्यन्त शान्ति (मोक्ष) को प्राप्त करता है।)


Thursday, October 28, 2010

दिव्य गुप्त विज्ञान

दिव्य गुप्त विज्ञान


देवी गुप्त साइंस आप जो कुछ भी-सुख, स्वास्थ्य और धन चाहते देता है! तुम, कर सकते हैं, या कुछ भी तुम चाहते हो!

"परमात्मा गुप्त विज्ञान 'के रूप में नाम का सुझाव राज है और नहीं जाना जाता है. यह वैज्ञानिक, सृष्टि के सिध्दांतों पर आधारित है. आध्यात्मिक हीलिंग और ध्यान का वैज्ञानिक तरीका. दिव्य गुप्त विज्ञान एक शुद्ध विज्ञान है. यह आपके शरीर की ऊर्जा संतुलन. आपके शरीर को कोशिकाओं से बना है. इन कोशिकाओं को न्यूट्रॉन और क्वांटा / प्रोटॉनों के बने हैं. दिव्य ऊर्जा है, जो न्यूट्रॉन और प्रोटॉन की ऊर्जा संतुलन 'परमात्मा गुप्त विज्ञान' है ...

स्वामी जी दिल्ली, पटियाला, बनारस, मध्य प्रदेश, बिहार, बद्रीनाथ और कासी में जैसे विभिन्न स्थानों पर आश्रम हो गया है. आश्रम कई पुराने लोगों में रह रहे हैं, गरीब बच्चों और गरीब इसलिए छात्रों को व्यावसायिक प्रशिक्षण दे रहे हैं कि वे अपने अस्तित्व के लिए रोजगार मिल सकता है के लिए कॉलेज के लिए स्कूल. ध्यान की कक्षाओं का आयोजन कर रहे हैं, गरीब लड़कियों की शादियों की व्यवस्था कर रहे हैं.
आश्रम में कई स्थानों जिसका पता और टेलीफोन नंबर रहे हैं के तहत यहाँ दी पर स्थित है: -


सदगुरु धाम आश्रम,
एच 243, कुंवर सिंह नगर, Nilothi Morh,
Nangloi, दिल्ली -110041
Tel.No.011-64171741, 9210477955, 9868387152,9868886830


सदगुरु धाम,
प्लाट नं 73, न्यू दश्मेश नगर, मेन रोड Sular,
पटियाला, पंजाब


सदगुरु धाम,
कबीर मंदिर, बरईपुर, Narainpur,
Mirjapur , वाराणसी


सदगुरु धाम आश्रम,
Dhumri, वाराणसी


सदगुरु धाम आश्रम,
बक्सर औद्योगिक क्षेत्र,
बक्सर, बिहार


सिद्ध आश्रम,
Akauri, Curhat, एम पी..


सदगुरु धाम,
बद्रीनाथ, नजदीक बस स्टैण्ड,
उत्तरांचल
http://divinesecretscience.com/

http://www.sadgurudham.net/
 प्रस्तुतकर्ता कमल शर्मा

Friday, October 22, 2010

Divine Secret Science

Divine Secret Science

The Divine Secret Science gives you whatever you want-happiness,health and wealth! You can have,do,or be anything you want!!

The “DIVINE SECRET SCIENCE” as the name suggests is secret and not known. It is based on scientific-cosmic principles. The Scientific Way of Spiritual Healing and Meditation.Divine Secret Science is a Pure Science.It balance the energy of your body. Your body is made up of cells. These cells are made up of neutrons and protons/quanta. “DIVINE SECRET SCIENCE” is divine energy which balances the energy of neutrons and protons…

SWAMI JI has got Ashrams at various places like in Delhi, Patiala,Banaras, Madhya Pradesh, Bihar, Badrinath and Kosi. In the Ashram many old persons are living, school for poor children and college for giving vocational training to poor students so that they can get jobs for their survival. The meditation classes are conducted, the weddings of poor girls are arranged.
The ashram is situated at many places whose address and telephone numbers are given here under :-

SADGURU DHAMASHRAM,
H-243, Kunwar Singh Nagar, Nilothi Morh,
Nangloi, Delhi-110041
Tel.No.011-64171741, 9210477955, 9868387152,9868886830

SADGURU DHAM,
Plot No.73,New Dashmesh Nagar,Main Road Sular,
Patiala, Punjab

SADGURU DHAM,
Kabir Mandir, Baraipur, Narainpur,
Mirjapur, Varanasi

SADGURU DHAM ASHRAM,
Dumri, Varanasi

SADGURU DHAM ASHRAM,
Buxar Industrial Area,
Buxr, Bihar

SIDHASHRAM,
Akauri, Churhat, M.P.

SADGURU DHAM,
Badrinath, Near Bus Stand,
Uttranchal
प्रस्तुतकर्ता Kamal Shrma पर १०:३५ अपराह्न

Friday, September 24, 2010

शिव राम कृष्ण के शरण पड ए मुसलमान

शिव राम कृष्ण के शरण पड मुसलमान
क्या ऐसा प्यारे भगवान,सुंदर से सीधे सादे भगवान मोहमाया से दूर केवल अपने भक्तों के कष्ट दूर करते भगवान अपने मंदिरों में शांत खडे थे लेकिन क्या हुआ था तुम्हे मुस्लिम आक्रांताओं जो नही लगता कि हमारे तुम हमारे मंदिरों को ध्वस्त करके अपने मस्जिदों को बनाना चाह रहे थे । यद तुम्हे इतनी ही मनमोहक लगी थी मूर्तियां हमारी तो उसमें जरा सा ध्यान तो लगा कर देखते , देखते जब ध्यान से तुम हमारे भगवानों को ना दिखने वाले अल्लाह खुदा पैगम्बर मोहम्मद सबको भुला कर इन भगवानों में हृदय रमा लेते मैं कोई कविता नही लिख रहा हूँ ना ही कोई कल्पना के घोडे दौडा रहा हूँ मैं पुछ रहा हूँ देश के उन मुसलमानों से सुन्नी वक्फ बोर्ड के पदाधिकारियों से कि तुम कमेटी बनाने बनाने पर एतराज तो नही करते हो खुलेआम कमेटी कहते हो लेकिन समिति या संघ के नाम से तुम्हारे हाथों की लेखनी कंपकपा जाती है टांगे झुक जाती है और मुंह थरथराने लगते हैं लेकिन तुम इन हरकतों को कैसे सोच लिये कि हम देख कर भी कुछ नही कहेंगे । हम सब समझते हैं , यहां के नेताओं की करनी भी चुपचाप देख रहे हैं लेकिन तुम भी तो बहुत कुछ नही देख रहे हो आज हमारे देश के सोमनाथ,विश्वनाथ और मथुरा के मंदिरों की बातें तो छोडो हमारे देश के महान शिवमंदिर तेजोलय तक को तुमने ताजमहल का रूप दे डाला कह दिये कि मुसलमानों की कब्र है किसी मुमताज और शाहजहां की कहानी बना दिये क्यों क्योंकि हम हिंदु अपने ही देश में लाचार है हम शांत और युद्ध की पीडा को जानने के बाद उससे दूर हो गए हैं वरना तुम्हारे हर आक्रांताओं को याद दिला दिये होते कि जितनी लडाई में तुम खून बहा रहे हो उससे कहीं ज्यादा तो हम केवल एक बार महाभारत में बहा चुके हैं । हमें अपने पूर्वजन्मों का भान है इस पावन धरा पर हमारा पुनः जन्म है इसलिये हम अपने पूर्वजन्म को समझते हुये युद्ध से दूर शांत जीवन जीने की चाह रखे हुए हैं ।
हमने अपने देश के अंदर अपने भगवानों की जन्मस्थली को तुमसे छिनता देखे हैं क्या रामजन्म भूमि अयोध्या की या फिर बात हो काशी विश्वनाथ की चर्चा हो सोमनाथ की या फिर कृष्णजन्म भूमि मथुरा की तुमने हर जगह हमारे भगवानों को हमसे छिना है लेकिन हमने तो तुम्हारे मक्का मदिना को कभी नही देखा है । फिर तुम कहां से आकर हमारे भगवानों को पाने की जगह उनकी जमीन को हथियाना चाहते हो, क्या लगाव है तुमको जो दो गज जमीन में दफन होने की बात कहने वाले मुसलमानों केवल हमारे भगवानों की जन्मस्थली हमसे छिनना चाहते हो । तुम ठहरे अरब के रेगिस्तानों की औलाद जिन्हे पानी की दो बूंदो के लिये इतिहास नें मरता देखा है हमारे यहां के लबालब भरे आब से चैन पाकर अब जिस जमीन में तुम्हे बैठने को कहा तो तुमने बजाय वहां बैठने के उस पर कब्जा ही जमाना चाह लिया । आज तो तुम्हारी हैसियत इस देश के आम नागरिकों जैसी हो गई है ए खुदा को मानने वाले बंदे अब भी सबक सीख ले भगवानों को चैन से उनकी जमीन पर जमा रहने दे वरना कल आने वाली कयामत आज में बदल जाएगी जिस जहन्नूम की बात तेरे पुरखे कहते आए हैं तेरी आंखो के सामने वो आज हकीकत में बदल जाएगी । हमारी चिंता मत कर ए रेगिस्तान हम तो मानते हैं कि आत्मा अमर है वो फिर से वापस आ जाएगी पर तेरा क्या होगा ,खाक में मिटने से पहले ही दहशत की आग में जल जाएगा ।

काला आदमी

एक काला आदमी ,बहुत ही कालासुपर काला,

डबल अफ्रीकनएल्डर सन ऑफ अमावस्यऔंधे तवे का ताऊ,

पहाडी कौए का पडदादाकोयल संप्रदाय का दादू ,

बंगाल का काला जादूतारकोल जिसके पैरों में भक्ति भाव से पसरता हो,

कोयला जिसका रूप रंग पाने के लिये,

सदियों तक जमीन के नीचे बैठ कर तपस्या करता होशादी होते ही माँ-बाप को धक्के देकर बाहर निकाल देने वाली औलाद सा कपूत,

कुल मिला कर इतना काला जितनी किसी भ्रष्ट नेता की करतूत

ab सुनो

एक दुकान पर गया ,ना शर्म ना हयाबोला - फेयर एण्ड लवली है

दुकानदार ने कहा नहीं तो कहने लगा -

फेयर-फेयर नैस जैसी कोई और क्रीम सही

दुकानदार बोला वो भी नहींतो बोला -

कोई औरतो जब इस बार भी गर्दन दुकानदार ने इंकार में हिलाई

तो कहने लगा - Cherry Blossom ही दे दे

कम से कम चमक तो बनी रहेगी भाई

Sunday, September 5, 2010




क्या मदिरा इतनी जरुरी ही ?