Friday, September 24, 2010

शिव राम कृष्ण के शरण पड ए मुसलमान

शिव राम कृष्ण के शरण पड मुसलमान
क्या ऐसा प्यारे भगवान,सुंदर से सीधे सादे भगवान मोहमाया से दूर केवल अपने भक्तों के कष्ट दूर करते भगवान अपने मंदिरों में शांत खडे थे लेकिन क्या हुआ था तुम्हे मुस्लिम आक्रांताओं जो नही लगता कि हमारे तुम हमारे मंदिरों को ध्वस्त करके अपने मस्जिदों को बनाना चाह रहे थे । यद तुम्हे इतनी ही मनमोहक लगी थी मूर्तियां हमारी तो उसमें जरा सा ध्यान तो लगा कर देखते , देखते जब ध्यान से तुम हमारे भगवानों को ना दिखने वाले अल्लाह खुदा पैगम्बर मोहम्मद सबको भुला कर इन भगवानों में हृदय रमा लेते मैं कोई कविता नही लिख रहा हूँ ना ही कोई कल्पना के घोडे दौडा रहा हूँ मैं पुछ रहा हूँ देश के उन मुसलमानों से सुन्नी वक्फ बोर्ड के पदाधिकारियों से कि तुम कमेटी बनाने बनाने पर एतराज तो नही करते हो खुलेआम कमेटी कहते हो लेकिन समिति या संघ के नाम से तुम्हारे हाथों की लेखनी कंपकपा जाती है टांगे झुक जाती है और मुंह थरथराने लगते हैं लेकिन तुम इन हरकतों को कैसे सोच लिये कि हम देख कर भी कुछ नही कहेंगे । हम सब समझते हैं , यहां के नेताओं की करनी भी चुपचाप देख रहे हैं लेकिन तुम भी तो बहुत कुछ नही देख रहे हो आज हमारे देश के सोमनाथ,विश्वनाथ और मथुरा के मंदिरों की बातें तो छोडो हमारे देश के महान शिवमंदिर तेजोलय तक को तुमने ताजमहल का रूप दे डाला कह दिये कि मुसलमानों की कब्र है किसी मुमताज और शाहजहां की कहानी बना दिये क्यों क्योंकि हम हिंदु अपने ही देश में लाचार है हम शांत और युद्ध की पीडा को जानने के बाद उससे दूर हो गए हैं वरना तुम्हारे हर आक्रांताओं को याद दिला दिये होते कि जितनी लडाई में तुम खून बहा रहे हो उससे कहीं ज्यादा तो हम केवल एक बार महाभारत में बहा चुके हैं । हमें अपने पूर्वजन्मों का भान है इस पावन धरा पर हमारा पुनः जन्म है इसलिये हम अपने पूर्वजन्म को समझते हुये युद्ध से दूर शांत जीवन जीने की चाह रखे हुए हैं ।
हमने अपने देश के अंदर अपने भगवानों की जन्मस्थली को तुमसे छिनता देखे हैं क्या रामजन्म भूमि अयोध्या की या फिर बात हो काशी विश्वनाथ की चर्चा हो सोमनाथ की या फिर कृष्णजन्म भूमि मथुरा की तुमने हर जगह हमारे भगवानों को हमसे छिना है लेकिन हमने तो तुम्हारे मक्का मदिना को कभी नही देखा है । फिर तुम कहां से आकर हमारे भगवानों को पाने की जगह उनकी जमीन को हथियाना चाहते हो, क्या लगाव है तुमको जो दो गज जमीन में दफन होने की बात कहने वाले मुसलमानों केवल हमारे भगवानों की जन्मस्थली हमसे छिनना चाहते हो । तुम ठहरे अरब के रेगिस्तानों की औलाद जिन्हे पानी की दो बूंदो के लिये इतिहास नें मरता देखा है हमारे यहां के लबालब भरे आब से चैन पाकर अब जिस जमीन में तुम्हे बैठने को कहा तो तुमने बजाय वहां बैठने के उस पर कब्जा ही जमाना चाह लिया । आज तो तुम्हारी हैसियत इस देश के आम नागरिकों जैसी हो गई है ए खुदा को मानने वाले बंदे अब भी सबक सीख ले भगवानों को चैन से उनकी जमीन पर जमा रहने दे वरना कल आने वाली कयामत आज में बदल जाएगी जिस जहन्नूम की बात तेरे पुरखे कहते आए हैं तेरी आंखो के सामने वो आज हकीकत में बदल जाएगी । हमारी चिंता मत कर ए रेगिस्तान हम तो मानते हैं कि आत्मा अमर है वो फिर से वापस आ जाएगी पर तेरा क्या होगा ,खाक में मिटने से पहले ही दहशत की आग में जल जाएगा ।

काला आदमी

एक काला आदमी ,बहुत ही कालासुपर काला,

डबल अफ्रीकनएल्डर सन ऑफ अमावस्यऔंधे तवे का ताऊ,

पहाडी कौए का पडदादाकोयल संप्रदाय का दादू ,

बंगाल का काला जादूतारकोल जिसके पैरों में भक्ति भाव से पसरता हो,

कोयला जिसका रूप रंग पाने के लिये,

सदियों तक जमीन के नीचे बैठ कर तपस्या करता होशादी होते ही माँ-बाप को धक्के देकर बाहर निकाल देने वाली औलाद सा कपूत,

कुल मिला कर इतना काला जितनी किसी भ्रष्ट नेता की करतूत

ab सुनो

एक दुकान पर गया ,ना शर्म ना हयाबोला - फेयर एण्ड लवली है

दुकानदार ने कहा नहीं तो कहने लगा -

फेयर-फेयर नैस जैसी कोई और क्रीम सही

दुकानदार बोला वो भी नहींतो बोला -

कोई औरतो जब इस बार भी गर्दन दुकानदार ने इंकार में हिलाई

तो कहने लगा - Cherry Blossom ही दे दे

कम से कम चमक तो बनी रहेगी भाई

Sunday, September 5, 2010




क्या मदिरा इतनी जरुरी ही ?